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सीएम पद पाने के लिए किस हद तक जा सकती है वसुंधरा राजे? और मोदी कहां तक बर्दाश्त करेंगे?

सीएम पद पाने के लिए किस हद तक जा सकती है वसुंधरा राजे?

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सीएम पद पाने के लिए किस हद तक जा सकती है वसुंधरा राजे? और मोदी कहां तक बर्दाश्त करेंगे?

 

राजस्थान की राजनीति में सीएम पद को लेकर लगातार हलचल बढ़ रही है वसुंधरा राजे ने किस तरह अपने घर पर विधायक जमावड़ा किया है उसे लगता है की सीएम के पद को लेकर आश्वत हो चुकी है तो क्या वह पार्टी से बगावत भी कर सकती है?

लगता है कि राजस्थान में सीएम पद के लिए बवाल होना क्या है जिस तरह वसुंधरा राजे खुलकर अपने घर पर शक्ति प्रदर्शन कर रही है वह बीजेपी वाला कमान को रास नहीं आने वाला है वसुंधरा समर्थक विधायक उनके घर पहुंच रहे हैं और बाहर जाकर कमरे के सामने खुलकर मैडम की तारीफ कर रहे हैं और सीएम बनाने की मांग भी कर रहे हैं मंगलवार दोपहर से ही उनके घर पर विधायकों का जमावड़ा लग रहा है वसुंधरा समर्थक आठ बार के विधायक काली शरण शराब ने दावा किया है कि उनसे 70 विधायकों ने मुलाकात की है वह कहते हैं कि राजे जहां गई वहां भाजपा चुनाव जीत गई है।

आगे कहते हैं कि वसुंधरा राजस्थान में भाजपा की सर्वमान्य नेता है बहादुर होली गोपीचंद मीणा और समाराम गरासिया में भी कहा कि हमारी राय पूछी गई तो वसुंधरा पहली पसंद होगी इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी राजस्थान के सीएम को लेकर किसी का नाम नहीं दिया है इस बीच प्रभारी अरुण सिंह का कहना है कि पापुलरमेंट बोर्ड जो फैसला लेगा वही सभी को मनाना होगा।
जाजपुर से आने वाले विधायक गोपीचंद मीणा ने वसुंधरा राजे से मुलाकात की और कहा कि लोग वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं ब्यावर से आने वाले विधायक सुरेश रावत भी वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचे उन्होंने कहा कि वसुंधरा ने पहले बहुत अच्छा काम किया है लेकिन कम आल्हा का मन जिसे बना यह हम पार्टी के साथ है।

दरअसल चुनाव नतीजे आने से 3 दिन पहले ही वसुंधरा सक्रिय हो गई थी जीतने की संभावना रखने वाले निर्दलीय विधायकों से रिजल्ट के पहले से उन्हें संपर्क साधना शुरू कर दिया था दूसरी ओर आलाकमान वसुंधरा को कोई भाव नहीं दे रहा है।

वसुंधरा के साथ कितने विधायक

वसुंधरा के घर पर पहुंचने वाले कम से कम 25 विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं दावा किया जा रहा है कि करीब 50 विधायक उनके साथ है कहा जा रहा था कि वसुंधरा और अशोक गहलोत ने बड़े पैमाने पर अपनी अपनी पार्टियों के असंतुष्ट को निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़वाया था पर इस बार के चुनाव में जिस तरह भाजपा के पक्ष में आंधी चली उसके चलते दोनों का सपना साकार नहीं हो सका केवल आठ निर्दलीय विधायक ही चुनाव जीत सके कहा जा रहा है कि इन आठ में 6 वसुंधरा के ही लोग है भारतीय जनता पार्टी ने अधिकतर वसुंधरा समर्थक को टिकट दिया था वसुंधरा पर भी आरोप है कि उन्होंने पार्टी के बागी लोगों के खिलाफ चुनाव प्रचार में भाग नहीं लिया इसके चलते पार्टी ने करीब दो दर्जन प्रत्याशियों को अप्रत्याशीत हर का सामना करना पड़ा है।

वसुंधरा क्यों जरूरी है बीजेपी के लिए।

वसुंधरा इस समय राजस्थान की सबसे लोकप्रिय नेता है जिसे लोगों ने चुनाव प्रचार के दौरान उनकी रेलिया में जुटी जनता को देखा है वह इस बात से इनकार नहीं करेंगे कि राजस्थान में वसुंधरा बीजेपी के लिए कितनी जरूरी है राजस्थान की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान करीब 60 रैलियां की करीब 43 विधायक को के लिए की जिनमें से करीब 34 विधायक चुनाव जीत गए इस तरह उनका स्ट्राइक रेट बहुत शानदार रहा भाजपा को सिर्फ दो महीने में फाइनल मुकाबला लड़ना है दक्षिणी के राज्यों से पार्टी को उम्मीद ना के बराबर है।

राजस्थान में अगर पिछली बार की तुलना में सिम काम होती है तो इसकी भरपाई कौन करेगा यही सोच कर पार्टी वसुंधरा की कुछ गलतियों को माफ कर सकती है यह तय है कि प्रदेश में कोई भी नेता बीजेपी को 25 सिम नहीं दिलवा सकता चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने अपने यूट्यूब चैनल पर रहते हैं कि अभी का जो वोटिंग ट्रैक है उसके हिसाब से राजस्थान में कांग्रेस को 11 सिम मिल सकती है योगेंद्र यादव की बातें सही हो सकती है क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के वोट बैंक में मात्र ढाई परसेंट का अंतर है दूसरी बात यह भी है कि राजस्थान के साथ सांसदों को पार्टी ने विधानसभा में रण में उतारा था जिसमें से कर अपना चुनाव हार गए तब है जब राज्य में साइलेंटली मोदी लहर चल रही थी।

आलाकमान नहीं दे रहा है भाव

बीजेपी के पर्यवेक्षक राजस्थान पहुंच चुके हैं इसके पहले सीएम रेस में शामिल कई लोगों ने दिल्ली का रुख किया बालक मां का आशीर्वाद लेने के बहाने बालक नाथ भी दिल्ली पहुंचे हैं और प्रताप पुरी महाराज भी दिल्ली पहुंचे हैं प्रताप पुरी महाराज के समर्थकों का कहना है कि उन्हें दिल्ली से बुलावा आया है दूसरी और वसुंधरा राजे न केवल आल्हा का मन से मिलने गई और ना ही कोई बयान ही जारी कर रही है चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्हें कमान नहीं सौपी गई पीएम की सभाओं में भी उन्हें कभी स्टेज पर वह सम्मान नहीं मिला जिस तरह के सम्मान का वह हकदार थी यही कारण है कि वह सुंदर को लगता होगा कि उनके साथ अन्याय हो इससे पहले ही वह अपना शक्ति प्रदर्शन कर आला कमांड को समझ सके की उनमें भी जादुई आंकड़ा छूने की क्षमता है।

क्यों उनके खिलाफ जा रहा है मामला

1. 5 साल तक क्या कर रही थी। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद 5 साल तक वह शांत रही है उन्होंने पार्टी से पैरलल कई बार चलने की कोशिश की जिससे आम लोगों में गलत संदेश गया

2. सचिन पायलट के बगावत के समय शांत बेटी रही
सचिन पायलट के बगावत के समय कांग्रेस की सरकार के लिए उत्सुक नहीं दी थी इससे यह संदेश गया कि वह गहलोत सरकार के साथ है।

3. दल बदल कानून
पार्टी को पता है कि दल बदल कानून के चलते वसुंधरा को अगर मुख्यमंत्री नहीं भी बनाया जाता है तो वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे पार्टी टूटे दो तिहाई विधायकों का समर्थन जितना आसान नहीं है जो विधायक आज उनके साथ दिख रहे हैं वह पार्टी हेड ऑफिस से फोन आने के बाद बयान बाजी बंद कर देंगे

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