प्रधानमंत्री मिशन इंद्रधनुष योजना 2022 क्या है
Prime Minister Mission Indradhanush Yojana 2022
प्रधानमंत्री मिशन इंद्रधनुष योजना 2022 क्या है
Prime Minister Mission Indradhanush Yojana 2022
इस योजना प्रधानमंत्री मिशन इंद्रधनुष अभियान की शुरू आत 25 दिसम्बर 2014 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया था। इस योजना को जे पी नड्डा द्वारा लागू किया गया था। मिशन इंद्रधनुष का मुख्य उद्देश्य उन सभी बच्चो को टीकाकरण करना हैं, जिन बच्चों को टीके नहीं लगे हुए हैं और इस योजना को 2022 तक पूरा करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को देश को संबोधित करते हुए कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच इस योजना का दोबारा संबोधन किया। देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने वैक्सीनेशन को लेकर बात की। इसके साथ ही उन्होंने वैक्सीनेशन के लिए चलाई जाने वाली इंद्रधनुष योजना का की सरायना की है ।
प्रधानमंत्री मिशन इंद्रधनुष 2022 अभियान
यह योजना इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करती है। लेकिन इस योजना के अनुसार इंद्रधनुष के सात रंगों का मतलब उन रंगों यानी उन सात बीमारियों से है, जो की बच्चों में होने के खतरे रहते हैं। सन 2009 से 2013 के बीच के दौरान टीकाकरण 61 % से 65 % तक बढ़ा था। इसका मतलब यह हैं की पिछले सात साल में सिर्फ हर साल में 1 % की बढ़ोत्तरी हुए है।
इसके बाद हर वर्ष बढ़ती हुई जनसँख्या को देखते हुए यह बढ़ोतरी बहुत कम है और कुछ ऐसी अनेक बीमारिया बच्चो की मौत का कारण बनी हुए हैं, जिसे की सिर्फ टीकारण माध्यम से ही रोक जा सकता है। इस योजना को टीकारण के विकास की गति को बढ़ाने के लिए प्रारम्भ की गई है। Pradhan Mantri Mission Indradhanush Abhiyan को इन सात रोगों को टीकाकरण प्राप्त करने का अभियान है, जिनको की टीकाकरण द्वारा ही रोका जा सकता हैं और उन सात बीमारियों के नाम इस प्रकार से आपको बताएगे |
- पोलियो
- हेपेटाइटिस बी
- खसरा
- टेटनस
- डिप्थीरिया
- क्षय रोग
- काली खांसी
Prime Minister Rainbow Mission Campaign 2022
Mission Indradhanush का पहला कदम में इंद्रधनुष योजना की प्रारम्भ 7 अप्रैल 2015 को हुए जिसके अंतराल यह एक हफ्ते से अधिक तक चली।
इस योजना के अनुसार भारत सरकार द्वारा पुरे भारत में 28 राज्यो के 201 जिलो में से ऐसे बच्चो की पहचान की गई जिनको की विशेष रूप से अनइममयनाइज्ड तथा इम्म्यूनाइज्ड हैं।
मिशन इंद्रधनुष योजना के इस कदम को 4 भागों में विभाजित किया गया था, जिसमें की पहले की शुरुआत 7 अप्रैल को हुई थी, इसके बाद दूसरा, तीसरा तथा चौथा भाग मई, जून, जुलाई की सात तारीख को इनकी प्रारम्भ की गई और जिन्हें की 1 – 1 सफ्ताह से अधिक समय के लिए आयोजित रखा गया था।
प्रधानमंत्री इंद्रधनुष मिशन योजना के पहले कदम से जुड़े मुख्य कार्य
यह Prime Minister Rainbow Mission Yojana के अनुसार डायरिया जैसी बीमारियों से बचाने के लिए सभी बच्चों के लिए 16 लाख से भी ज्यादा ORS पैकेट्स और 57 लाख से भी अधिक जिंक टेबलेट्स फ्री बांटी गई।
इन योजना के अनुसार इन सभी चार भागों की सभा के आयोजन के लिए लगभग 9 लाख का खर्च हुआ।
इंद्रधनुष मिशन योजना के बाद 20 लाख से भी ज़्यादा टेटनेस के टीके गर्भवती महिलाओं को लगाए गए तथा इसके पश्चात 75 लाख बच्चों को टीके लगाए गए जिसके अंतर्गत पूर्ण टीकाकरण 20 लाख बच्चो का किया गया था ।
Mission Indradhanush Yojana का दूसरा कदम
इस Pradhan Mantri Indradhanush Abhiyan Yojana के दूसरे चरण को भी चार खण्डो में बाटा गया जिसके की पहले भाग को 7 अक्टूबर 2015 को प्रारम्भ किया गया, दूसरे भाग को 7 नवम्बर 2015 को शुरू आत किया गया, तीसरे भाग को 7 दिसम्बर 2015 को स्टार्ट किया गया और अंतिम और चौथे भाग को 7 जनवरी 2015 को शुरू किया गया। इस कदम के दौरान भारत सरकार द्वारा इस योजना के अनुसार देश भर में 352 जिलों को चुना गया जिसके अंतर्गत 279 मीडियम फोकस जिले हैं 73 बचे हुए जिले पहले कदम के हाई फोकस जिले के नाम इस प्रकार से हैं।
प्रधानमंत्री इंद्रधनुष मिशन के तीसरे कदम से जुड़े कुछ मुख्य कार्य
इस Mission Indradhanush के तीसरे कदम की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तब की गयी थी जब पहले तथा दूसरे कदम को सफलता को मिली थी । इस कदम को 7 अप्रैल 2016 को प्रारम्भ किया गया था। इस कदम के माध्यम से अनेक राज्यों के 216 जिलों को कवर किया गया था। इन राज्यों के नाम इस प्रकार से हैं
- राजस्थान
- असम
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- अरुणाचल प्रदेश
- बिहार
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
योजना के तहत किन-किन क्षेत्रों को विशेष टीकाकरण के दौरान लक्ष्य बनाया हैं?
- ब्रिक किल्नस
- खसरे जैसी बीमारियों वाले अधिकतर इलाके
- माइग्रेशन के साथ अर्बन स्लम्स
- दूर – दराज़ वाले इलाके जहाँ सेवाएं कम पहुँचती हैं
- मछुआरों के नदी एवं गांव के इलाके आदि
- नोमड्स
- लगभग पुर्बास क्लब्ड, बस्तिया,छोटे गांव या धनिस जैसे इलाके जोकि टीकाकरण के लिए दूसरे गांव के साथ जोड़े जाते हैं
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